वह आधुनिक युग की भारी मात्रा में उत्पादन के लिए प्रयुक्त असेम्बली लाइन के जनक थे | उन्होंने “मॉडल टी ” नामक गाडी निकाली , जिसने यातायात एवं अमेरिकी उद्योग में क्रांति ला दी | वो एक महान अविष्कारक भी थे | उन्हें अमेरिका के 161 पेटेंट प्राप्त हुए थे | फोर्ड कम्पनी के मालिक के रूप वो संसार के सबसे धनी एवं विख्यात व्यक्तियों में से एक थे |
आरंभिक जीवन :
हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को मिशिगन के ग्रीनफ़ील्ड फार्म में हुआ था। असल में उनका परिवार इंग्लैंड के सॉमरसेट से था। फोर्ड के 15 साल की आयु में ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गयी थी। हेनरी फोर्ड के भाई-बहनों में मार्गरेट फोर्ड (1867-1938), जेन फोर्ड (1868-1945), विलियम फोर्ड (1871-1917) और रोबर्ट फोर्ड (1873-1934) शामिल है।
किशोरावस्था में उनके पिताजी ने उन्हें एक जेब घडी दी थी। 15 साल की आयु में फोर्ड पूरी तरह गिर चुके थे लेकिन दोस्त और पड़ोसियों की सहायता से वे फिर उठकर खड़े हुए और घडी ठीक करने वाले के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनायी। फोर्ड ने क्लारा जेन ब्रायंट (1866-1950) से 11 अप्रैल 1888 को हुई थी और उनकी पत्नी की सहायता से ही वे एक सॉमिल भी चलाते थे। उनका एक बेटा भी है : एड्सेल फोर्ड (1893-1943)।
पाँच वर्ष की आयु में हैनरी का दाखिला पास ही के कस्बे के स्कूल में कराया गया था। पाँचवी पास करने के बाद आगे की पढाई के लिए हैनरी को घर से ढाई किलोमीटर पैदल जाना पङता था। पिता की यही इच्छा थी कि हैनरी एक अच्छा किसान बने किन्तु हैनरी का दिमाग दूसरी दिशा में व्यस्त रहता था। 11 वर्ष की उम्र में हैनरी के खिलौने आम बच्चों से अलग हट कर थे। चाय की केतली, खाङी हल तथा छोटे-छोटे पुर्जे उनके खिलौने हुआ करते थे। बहुत कम उम्र में ही वे पड़ोसीयों की घङियाँ सुधारने लगे थे।
शुरूवाती दौर में घङी सुधारने वाले हैनरी फोर्ड ने मोटरकार के आविष्कार तथा उसमें आधुनिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिता की इच्छा के विरुद्ध हैनरी डेट्राइट चले आए और एक कारखाने में काम करने लगे किन्तु वहाँ से प्राप्त आमदनी से कार बनाने के सपने को साकार नही सकते थे। अतः एक सुनार के यहाँ पार्टटाइम काम करने लगे और शाम को घङियाँ भी सुधारते। डेट्राइट में रहते हुए कुछ ही समय हुआ था कि पिताजी की तबियत खराब होने का संदेश आया और वे घर वापस चले गये। खेत की पूरी जिम्मेदारी अब हैनरी के कंधो पर आ गई थी।
16 वर्ष की उम्र में ये घर छोड़कर डिट्रॉइट चले गए। यहाँ कई कारखानों में काम करके इन्होंने यांत्रिक विद्या का ज्ञान प्राप्त किया। सन् 1886 में ये घर वापस आए, पिता की दी हुई 80 एकड़ भूमि पर बस गए और वहीं मशीन मरम्मत करने का एक कारखाना खोला। सन् 1887 में इनका विवाह हुआ तथा इसी वर्ष इन्होंने गैस इंजिन और खेतों पर भारी काम करनेवाली मशीन बनाने की एक योजना बनाई, किंतु यंत्रों की ओर विशेष आकर्षण के कारण ये घर पर न टिक सके और फिर डिट्रॉइट चले आए।
सन 1890 में इन्होने डेट्रॉइट एडिसन इलेक्ट्रिक कम्पनी में काम करना आरम्भ किया और सन 1893 में पेट्रोल से चलने वाली पहली गाडी बनाई , जिसमे 4 HP की शक्ति होती थी | सन 1893 में हेनरी Henry Ford ने दुसरी गाडी बनाना आरम्भ की और सन 1899 में इलेक्ट्रिक कम्पनी की नौकरी छोडकर डेट्रॉइट ऑटोमोबाइल कम्पनी की स्थापना की | फिर इस कम्पनी को छोडकर ये दौड़ में भाग लेने वाली गाडिया बनाने लगे | इन गाडियों ने कई दौड़ में सफलता पायी, जिसके कारण इनका बड़ा नाम हुआ |
इस प्रसिधी के कारण हेनरी फोर्ड ने सन 1903 में फोड़ मोटर कम्पनी की स्थापना की | पहले साल में फोर्ड मोटर कम्पनी में दो सिलिंडर और 8 HP की 1708 गाडिया बनाई | इनकी बिक्री से कम्पनी को शत प्रतिशत लाभ हुआ | दुसरे साल में उनकी 5000 गाड़िया बिक गयी | Henry Ford फोर्ड इस कम्पनी के अध्यक्ष हो गये और अंत में अन्य हिस्सेदारों को हटाकर अपने एकमात्र पुत्र एड्सेल ब्रिअट फोर्ड सहित पूर्ण कम्पनी के मालिक हो गये |
प्रथम वर्ष में फोर्ड मोटर कंपनी ने दो सिलिंडर तथा आठ अश्वशक्तिवाली 1,708 गाड़ियाँ बनाई. इनकी बिक्री से कंपनी को शत – प्रतिशत लाभ हुआ. दुसरे वर्ष 5,000 गाड़ियाँ बिकीं. फोर्ड इस कंपनी के अध्यक्ष हो गए और अंत में अन्य हिस्सेदारों को हटाकर अपने एकमात्र पुत्र, एडसेल ब्रायंट फोर्ड,के सहित सम्पूर्ण कंपनी के मालिक हो गए.
इनका उद्देश्य हल्की, तीव्रगामी,दृढ़ किन्तु सस्ती मोटर गाड़ियों का निर्माण करना था. इसमें सफलता प्राप्त करने के लिए इन्होंने मशीन के अंगों के मानकीकरण,प्रगामी संयोजन, व्यापक बिक्री तथा ऊँची मजदूरी देने के सिधान्तों को अपनाया. इन्होंने खेती के लिए ट्रेक्टर भी बनाए,सन 1924 तक इनकी कंपनी ने 20 लाख गाड़ियाँ,तर्क और ट्रैक्टर बनाए थे और सन 1931 तक इनके सब कारखानों में निर्मित गाड़ियों की संख्या दो करोड़ तक पहुँच गई.
प्रथम विश्वयुद्ध के समय इन्होंने कुछ प्रभावशाली लोगों को एकत्रित कर “ऑस्कर द्वितीय” नामक शांति पॉट पर यूरोप की यात्रा इस विश्वास से की कि यह अभियान युद्ध बंद करने में समर्थ होगा. यह सब होते हुए भी देहाती जीवन के प्रति पक्षपात तथा अमरीका की विगत रीतियाँ तथा स्मृतिचिन्हों के प्रति अटूट श्रद्धा रखने के कारण इन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की थी.
रोचक तथ्य :
कुछ साल पहले ford ने निश्चय किया की वह अपनी मशहूर v-8 मोटर बनाएँगे. वह कार के लिए v-8 इंजिन बनाना चाहते थे एक ऐसी कार जिसका खर्च आम लोग भी उठा सके. इसके लिए उन्होने एक ऐसा engine बनाने का निश्चय किया जिसमे आठ सिलिंडरो को एक ही जगह डालने का निश्चय किया गया और अपने इंजीनियरो को इस इंजिन का डिज़ाइन बनाने के लिए कहा.ये डिज़ाइन पेपर पर बनाया गया. लेकिन इंजीनियरो का मानना था की यह असंभव है. फोर्ड ने उनसे कहा किसी भी तरह इसे बनाया जाए. लेकिन उन्होने कहा की ये असंभव है. फोर्ड ने उन्हे आदेश दिया की आगे बढ़ो और तब तक लगे रहो जब तक तुम सफल ना हो जाओ चाहे कितना भी समय लगे.
महान उद्योगपति हेनरी फोर्ड के बारे में एक किस्सा अकसर सुनाया जाता है। फोर्ड एक अरबपति थे, फिर भी वे अपने ऑफिस और फैक्ट्री में बिलकुल साधारण कपड़ों में आ जाते थे! यह देखकर उनके सभी कर्मचारी बहुत अचरज करते और आपस में बातें करते की बॉस के पास इतना पैसा है फिर भी वे इतने सिंपल कपड़ों में ऑफिस आ जाते हैं! एक दिन उनकी सेक्रेटरी ने हिम्मत कर उनसे कह दिया “सर आपके पास इतना पैसा है की आप सारी दुनिया से, एक से बढ़कर एक कपड़ें मंगवा सकतें है, फिर भी आप इतने सादा कपड़ों में ऑफिस आ जातें हैं? हेनरी फोर्ड मुस्कुरा दिए और कहा “यहाँ सब जानतें हैं की में हेनरी फोर्ड हूँ! में महंगे कपडे पहनकर, सब को यह दिखाने की चिंता क्यों करूँ की में हेनरी फोर्ड हूँ।
निवेशकों की पूंजी से हेनरी फोर्ड ने ऑटोमोबाइल कंपनी की स्थापना की फिर इस कंपनी को छोड़कर ये रेसर कार बनाने लगे। उस कार को कई रेस में सफलता मिली इससे उनका बहुत नाम हुआ। इस प्रसिद्धि से उन्होंने Ford Motor कंपनी की स्थापना की। पहले साल Ford Motor 1,708 कारो का निर्माण किया और इससे उन्हें बहुत मुनाफा हुआ अगले साल उन्होंने उत्पादन बढ़ा कर 5000 करो का निर्माण किया। 1908 में पांच साल बाद इस कंपनी ने मॉडल T कार लॉन्च की, जिसने मोटर कार उद्योग में क्रांति कर दी। पहले ही साल 10,000 कारे बिक गई। इससे उन्हें इतना मुनाफा हुआ की उन्होंने फ्रांस और में इंग्लैंड में औरमैन्यूफैक्चरिंग संयंत्र स्थापित किए।
विचार :
फोर्ड में आदर्शवादिता तथा कट्टरपन का विचित्र संमिश्रण था। ये पुंजोत्पादन के पक्षपाती थे, किंतु इनका यह भी विचार था कि उद्योग को इस प्रकार विकेंद्रित करना चाहिए कि खेती के साथ साथ कारखानों का काम भी चले। ये ऊँची मजदूरी देने के पक्ष में थे, किंतु मजदूर संघों के घोर विरोधी थे; यहाँ तक कि अपने कारखानों में संघों को पनपने न देने के विचर से ये भेदियों तथा सशस्त्र पुलिस से काम लेते थे। शांति के ये कट्टर पक्षपाती थे, किंतु नात्ज़ियों की भाँति ये यहूदी विरोधी थे।
बैंकों और महाजनों से भी इनकी नहीं पटती थी। प्रथम विश्वयुद्ध के समय इन्होंने कुछ प्रभावशाली लोगों को एकत्रित कर ""ऑस्कर द्वितीय"" नामक शांति पोत पर यूरोप की यात्रा इस विश्वास से की कि यह अभियान युद्ध बंद कराने में समर्थ होगा। यह सब होते हुए भी देहाती जीवन के प्रति पक्षपात तथा अमरीका की विगत रीतियों तथा स्मृतिचिह्नों के प्रति अटूट श्रद्धा रखने के करण इन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की थी।
No comments:
Post a Comment